देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से विपदाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं और समस्त कष्ट से मुक्ति मिलती है। यह सिद्ध स्त्रोत है और इसे करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि ।
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ परम कल्याणकारी है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र आपके जीवन की समस्याओं और विघ्नों को दूर करने के लिए एक शक्तिशाली उपाय है। मां दुर्गा के इस स्तोत्र का जो मनुष्य विषम परिस्थितियों में वाचन करता है, उसके समस्त कष्टों का अंत होता है। प्रस्तुत है here श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के लाभ
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